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कहीं दो फाड़ न हो जाए आईसीसी


जिस तरह से विश्व क्रिकेट का शक्ति संतुलन इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों की तरफ हो रहा है, इससे आईसीसी में बिखराव का खतरा पैदा होने की आशंका है। भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश विश्व क्रिकेट में एक ध्रुव बनकर उभरे हैं।

इस कारण आईसीसी में दो फाड़ की आशंका बढ़ती जा रही है। अगर स्थितियंा जल्द न बदली तो इंग्लैंड,ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड और वेस्ट इंडीज आईसीसी से इतर अपना एक अलग संगठन बना सकते हैं। इस तरह की धमकी ये देश 1996 के विश्व कप के पहले लंदन में हुई आईसीसी की मीटिंग में दे चुके हैं। अगर ऎसा हुआ तो विश्व क्रिकेट में 1977 के कैरी पैकर सर्कस क ी तरह के हालात पैदा हो जाएंगे जब विश्वक्रिकेट में दो फाड़ हो गए थे।


यह है वजह

क्रिकेट विश्व कप के अंतिम चार में तीन एशियाई टीमों का पहुंचना ही शक्ति संतुलन बदलने की ओर इशारा नहीं करता, बल्कि असली वजह है पैसा। आज क्रिकेट में सबसे ज्यादा पैसा अगर कहीं बरसता है तो वो है भारत, यहां क्रिकेट सिर्फ एक खेल न होकर एक जुनून बन चुका है।


क्रिकेट को लेकर ऎसा ही उन्माद पाकिस्तान, श्रीलंका, और बांग्लादेश में भी देखा जा सकता है। यहां इस खेल के दर्शक भी हैं और स्पांसर्स भी, टेलिविजन अधिकार भी यहां करोड़ों में बिकते हैं। कुल मिलाकर क्रिकेट यहां मुनाफे का सौदा है। इसलिए आईसीसी का ध्यान इन देशों की तरफ ज्यादा है। यही कारण है कि आईसीसी इन देशों के बोर्डो को नाराज नहीं करना चाहता।


जितना पैसा उतने भ्रष्ट

सवाल इस बात को लेकर भी है कि अब तक के सबसे सफल क्रिकेट विश्व कप के आयोजन से होने वाले लाभ का कितना प्रतिशत क्रिकेट के विकास पर खर्च होगा। क्रिकेट विश्वकप से हुई आमदनी के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने की चिंता कई लोगों को सता रही है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट में भ्रष्टाचार के मामले में भारत 87 वें, श्रीलंका 91 वें, बांग्लादेश 134 वें और पाकिस्तान 143 वें स्थान पर थे। खुद श्रीलंका के पूर्व कप्तान अर्जुन रणतुंगा का कहना है कि क्रिकेट विश्वकप के टेलीविजन अधिकारों से कमाया गया पैसा कुछ लोगों की जेब में गया है।

पाकिस्तान में जबसे श्रीलंकाई टीम पर हमला हुआ है और इस देश के खिलाड़ीयों का नाम मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग में आया हेै तबसे कोई देश पाकिस्तान आकर क्रिकेट नहीं खेलना चाहता। खुद इस देश के गृहमंत्री मोहाली मैच से पहले अपनी टीम को फिक्सिंग न करने की हिदायत दे रहे थे, और टीम पर नजर रखे जाने क ी बात कह रहे थे। आतंकवाद, अंदरूनी राजनीति और क्रिकेट बोर्ड की उथल-पुथल ने इस देश के घरेलू क्रिकेट को तबाह कर के रख दिया है।

श्रीलंकाई टीम लगातार दो विश्व कप के फाइनल में पहुँची है परंतु यहाँ 2005 के बाद से क्रिकेट बोर्ड में चुनाव ही नहीं हुए हैं, और एक अंतरिम कमेटी जैसे-तैसे क्रिकेट चला रही है। खुद श्रीलंका के खेलमंत्री कह चुके हैं कि श्रीलंकाई क्रिकेट बोर्ड देश की तीसरी सबसे भ्रष्ट संस्था है।


आईसीसी पर भारी बीसीसीआई

बढ़ते आर्थिक मुनाफे ने बीसीसीआई को आईसीसी से भी ज्यादा शक्तिशाली बना दिया है। भारत आज विश्व क्रिकेट की रीढ है, क्रिकेट को लेकर जैसी दीवानगी यहाँ है वैसी कहीं नहीं। आईपीएल, जो कि बीसीसीआई का घरेल टूर्नामेंट है उसमें दुनिया भर के खिलाड़ी खेलना चाहते हैं। भारतीय क्रिकेट बोर्ड दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बन चुका है।

बदले समीकरणों के चलते बीसीसीआई लगातार आईसीसी से अपनी बातें मनवाती रही है, चाहे भारत के मैचों के स्थान बदलवाना हो या अंपायर । यहाँ तक की विश्व क्रिकेट के नीतिगत मामलों में भी बीसीसीआई अपने हितों की रक्षा के लिए दबाव की राजनीति करने से बाज नहीं आती। बीसीसीआई को ये समझने की जरूरत है कि बड़ी ताकत के साथ बड़ी जिम्मेदारी भी आती है, इसलिए उसे क्रिकेट के समग्र विकास के लिए निहित स्वार्थ और अहंकार से ऊपर उठने की जरूरत है।

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